खागा नगर संस्थापक महाराजा खड्ग सेन सुर्यवंशी (खड्क सिंह)
खागा नगर संस्थापक महाराजा खड्ग सेन सुर्यवंशी (खड्क सिंह)
सूर्यवंश के एक बहादुर शासक महाराजा खड़गसेंन सूर्यवंशी के द्वारा खगा नगर स्थापित किया गया था,
खगा का अर्थ हैं सूर्य खगा संस्कृत शब्द हैं । सूर्यमंत्र में इसका प्रमाण हैं ।
सूर्य नमस्कार में बारह मंत्र उचारे जाते हैं। प्रत्येक मंत्र में सूर्य का भिन्न नाम लिया जाता है। हर मंत्र का एक ही सरल अर्थ है- सूर्य को (मेरा) नमस्कार है। सूर्य नमस्कार के बारह स्थितियों या चरणों में इन बारह मंत्रों का उचारण जाता है। सबसे पहले सूर्य के लिए प्रार्थना और सबसे अंत में नमस्कार पूर्वक इसका महत्व बताता हुआ एक श्लोक बोलते हैं -
ॐ ध्येयः सदा सवितृ-मण्डल-मध्यवर्ती, नारायण: सरसिजासन-सन्निविष्टः।
केयूरवान् मकरकुण्डलवान् किरीटी, हारी हिरण्मयवपुर्धृतशंखचक्रः ॥
ॐ मित्राय नमः।
ॐ रवये नमः।
ॐ सूर्याय नमः।
ॐ भानवे नमः।
ॐ खगाय नमः।
ॐ पूष्णे नमः।
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
ॐ मरीचये नमः। (वा, मरीचिने नम: - मरीचिन् यह सूर्य का एक नाम है)
ॐ आदित्याय नमः।
ॐ सवित्रे नमः।
ॐ अर्काय नमः।
महाराजा खड़गसेंन महाराजा दलपतसेन के पुत्र थे । महाराजा दलपतसेन महाराजा कनकसेन के परिवार से तालुक रखते थे। इसका प्रमाण राशिमाला १ इत्यादि मे मिलता हैं ।
महाराजा कनकसेंन भगवान राम के पुत्र कुश के वंशधर हैं । जिन्होंने कौशल राज्य से निकल कर सौराष्ट्र (सूर्य राष्ट्र) जिसे अब गुजरात से नाम से जाना जाता हैं वहाँ सूर्यवंशी राज्य स्थापित किया कालांतर में महाराजा कनकसेंन के वंशज विजयसेन (विजयभूषण) ने दक्षिण भाग की विराट भूमि पर मीणा और भीलों को हराकर विजयपुर (विराटगढ़) नामक नगर की स्थापना की ये वही विराट भूमि थी जहाँ पाण्डवो ने वनवास व्यतीत किया था । राजा विजयसेन के वंसजो ने विदर्भ में वल्लभी राज्य स्थापित किया और वल्लभीपती कहलाए व वल्लभ संवत् का प्रारम्भ भी उन्ही ने के द्वारा किया गया था। इनकी एक उपाधि बलार्क भी हैं । छठवी शताब्दी में पार्थीयनो के आक्रमण में इस वंश का अन्तिम राजा शिलादित्य मारा गया । तथा वल्लभी राज्य पुरी तरह नष्ट हो गया और उनका कूटुम्ब (परिवार) इधर उधर बिखर गया । इसी वंश के वंशधर राजा दलपतसेंन और महिपतसेन कान्यकुब्ज जा पहुँचे जिसे अब (कन्नौज) कहा जाता हैं। कुछ वर्षों तक वहाँ प्रवास के दौरान दोंनो भाइयों ने अपनी सैन्य सकती एकत्रित करके कान्यकुब्ज राज्य से पूर्व की ओर छोटे छोटे स्वतंत्र सामन्तो और और राजाओं को पराजित करके सम्पूर्ण दोआबे में अपना अधिपत्य क़ायम किया । गुप्त अवधि के बाद डोआबा क्षेत्र पर शासन करने वाले सूर्यवंशी महाराजा खड़गसेंन फतेहपुर जिले (अयहा और खगा समेत) और इलाहाबाद क्षेत्र के कुछ हिस्सों को महाराजा खड़गसेन के शासन के तहत नियंत्रित कर लिया गया था। यह भी कहा जाता है कि सूर्यवंशी क्षत्रिय शासकों ने अपनी सर्वोच्चता साबित करने के लिए दोआबा क्षेत्र (गंगा और यमुना के बीच क्षेत्र) में दशशवामेगा यज्ञ (घोड़े के बलिदान) का आयोजन किया। उनकी शक्ति अन्य राजपूतों के रूप में प्रतिस्पर्धी शक्तियों के उदय के साथ क्षीण हो गई। इनका किला कुकरी कुकर झील के पास स्थित था लेकिन अब खंडहर में है, । लेकिन आज भी उस शताब्दी के पत्थर उपलब्ध हैं वहाँ। और वहाँ के आस पास के गाँव के लोग उन टूटी कुछ मूर्तियों को रख कर महाराजा खड़गसेंन को खाडे बाबा के नाम से पूजते हैं । इस वंश के और राजा के होने के प्रमाण पास के मझिलगाओ में मिलते हैं ।
जहाँ एक शिव लिंग स्थापित हैं । जो दिनभर में 4-5 बार रंग बदलती हैं। उस शिवलिंग से एक अभिलेख भी मिला हैं । जिससे प्रमाणित होता हैं ।
की सूर्यवंश के महाराजा विरसेन जिन्हें नागवंश से भी जोड़ कर बताया गया हैं उनके द्वारा स्थापित यह मूर्ति हैं । यह प्रमाणित । खगा क्षेत्र के मात्र कुछ सुर्यवंशी क्षत्रिय बचें है जीनका खाप (उपजाति) नागवंश है और वो सुर्यवंशी लिखते हैं |
जय राजपुताना🚩
ReplyDeleteJay suryavansh
ReplyDeleteउत्तर प्रदेश में आदमपुर के पुरातात्विक स्थल पर अकूत संपदा की बात भी सामने आई है। खागा कस्बे के करीब स्थित कुकरा कुकरी ऐलई ग्राम का टीला तथा टिकरी गांव का टीला इन दिनों जिज्ञासु लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया है। इन स्थानों पर लोगों की चहल कदमी बढ़ गई है।
ReplyDeleteगांव में सोने का खजाना दबे होने की चर्चा ने क्षेत्र के पुरातात्विक महत्व के स्थानों का जनाकर्षण बढ़ा दिया है। लोगों का कहना है कि ऐतिहासिक घटनाओं या प्राकृतिक आपदाओं से भूगर्भ में समा चुके पुराने वैभव का समाज व राष्ट्रहित में उपयोग के प्रति सरकार की सक्रियता को प्रशासन विस्तार दे दे तो खागा की सरजमीं भी देश का भाग्य बदलने में सहायक साबित हो सकती है। नगर के संस्थापक राजा खड़क सिंह के इतिहास से जुड़ा कुकरा कुकरी स्थल में भी अकूत भू-संपदा होने की संभावना है।
इस स्थान को लेकर लंबे समय तक सक्रिय रहे पत्रकार सुमेर सिंह का कहना है कि इस टीले के आसपास के ग्रामीणों को कई मर्तबा बहुमूल्य नगीने पत्थर व सिक्के हाथ लगे हैं। नगर के दक्षिण-पूर्व सीमा के बाहर ऐलई गांव के पहले प्रवेश मार्ग के पास जिस टीले पर माइक्रो टावर लगा है, वह भी इस समय चर्चा में शुमार है। बताते हैं कि सन् 1984 में जब टावर लगाने के लिए टीले की सतही की खुदाई हुई थी, उस समय भारी मात्रा में चांदी व ताबे के सिक्के निकले थे। अरबी भाषा की लिखाई वाले ये सिक्के कुछ ग्रामीणों के हाथ भी लगे थे, लेकिन डर और लोभ की वजह से लोगों ने सिक्कों के बाबत चुप्पी साध ली।
खागा नगर संस्थापक महाराजा खड़क सिंह सूर्यवंशी जी की कुछ फोटो हो तो कृपया अपलोड करें ताकि इन से कुछ और जानकारी हासिल की जा सके
ReplyDeleteजय श्रीराम जय सूर्यवंश जय जय राजपूताना
जय राजपुताना जय मां भवानी जय सूर्यवंश⚔🚩
ReplyDeleteमूर्ख सूर्यवंशी क्षत्रिय की उपजाति नागवंश नहीं है
ReplyDeleteबल्कि उपजाति अर्कवंशी है
सूर्यवंशी क्षत्रिय ही अर्कवंशी क्षत्रिय कहलाए
जो उत्तर प्रदेश में पिछड़े वर्ग ओबीसी की लिस्ट में आते हैं और अत: अर्कवंशी लिखते हैं
तुम क्या हो कौन से वर्ग में आते हो 😄 सुर्यवंशी क्षत्रिय की उपजाति अर्कवंशी अबे अक्ल के अंधे कहा का है तु चुतिये
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ReplyDeleteजिला : फतेहपुर
कहा जाता है कि खागा शहर को मार्शल अरख कबीले के एक बहादुर शासक द्वारा स्थापित किया गया था, जिसका नाम महाराजा खडगसेन (जिसे खडग सिंह भी कहा जाता है) कहा जाता है। गुप्त काल के बाद दोआबा क्षेत्र पर शासन करने वाले अरख, खडगसेन के शासन के तहत फतेहपुर जिले (अयाह और खागा सहित) और इलाहाबाद क्षेत्र के कुछ हिस्सों (सिंगरूर के आसपास) के बड़े हिस्से को नियंत्रित करने के लिए आए थे। यह भी कहा जाता है कि अरख क्षत्रिय (जिसे 'अर्कावंशी' भी कहा जाता है) शासकों ने अपना वर्चस्व साबित करने के लिए दोआबा क्षेत्र (गंगा और यमुना के बीच का क्षेत्र) में दशाश्वमेघ यज्ञ (घोड़े की बलि) का आयोजन किया। अन्य राजपूतों और मुसलमानों के रूप में प्रतिस्पर्धी शक्तियों के उदय के साथ उनकी शक्ति क्षीण हो गई
😄😄😄 आआ
Deleteओ खागा जीतते अर्कवंशी है उनको लेकर आना मारे जुता काट देगें ग्यान तुम्हारा इतिहास पीछबाड़े डाल देगें हम वंशज है और हमको ग्यान दोगे चुतिये
जीतते ग्यान के चोदे है गजेटियर प्रमाण ले कर आये नहीं यहाँ गाली खाना हो हमको बताये
ReplyDeleteअगर आप क्षत्रिय हो तो आपको गाली देना शोभा नही देता है
Deleteभाई साहब ये अपने बारे में जानकारी नहीं दे पाएंगे
Deleteआदरणीय वेबसाइट को क्रिएट करने वाले सर आपसे से निवेदन है की आपने बहुत अच्छी जानकारी अपलोड की है तो आपसे कहना चाहूंगा अपना भी परिचय देने की कृपा करें
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ReplyDeleteखड़क सेन सिंह जी वंश ही खरवड़ हैं
ReplyDeleteमहाराजा खड़गसेन जी के वंश में कौन कौन महाराज हुए और किस किस राज्य पर उन्होंने शासन किया क्या उनका कोई वन्सज पलवल(हरियाणा) भी आया था
ReplyDeleteमहाराजा खड़गसेन जी के वंश में कौन कौन महाराज हुए और क्या उनका कोई वन्सज पलवल(हरियाणा) भी आया था कृप्या बतला दीजिये भाई 🙏
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